Mathura News: दोस्तों मां के बगैर हर अमीर से अमीर आदमी भी भीकारी होता है। इस मतलब की दुनिया मैं मां जैसा सच्चा प्यार कोई नही करता। दोस्तो कहते है मां कभी अपनी संतान पर नाराज नही होती भले उसके पार्थिव शरीर को महज एक जमीन के टुकड़े के लिए घंटों तक लकड़ियों की चिता पर लिटाए रखा जाए, अग्नि ना दी जाए। चलिए जानते है इस तमाशों की पूरी कहानी आज के इस आर्टिकल मैं।
क्यू नही दी गई मां के पार्थिव शरीर को 9 घंटो तक अग्नि और क्यू चिता की अग्नि बुझाई गई?
पुष्पा नाम की बूढ़ी औरत मथुरा का नगला चीता गांव मैं रहती थी, पति की मौत के बाद पुष्पा मथुरा के आनंदपुरी में अपनी बड़ी बेटी मिथलेश के साथ रहने लगी। पुष्पा की और दो बेटियां है नाम सुनीता और शशि। तीन बेटियां और तीन बीघा जमीन के साथ पुष्पा बुढ़ापा काट रहीं थी। सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन 13 जनवरी की रात 98 साल की पुष्पा की तबियत अचानक बिगड़ गई। हालात बिगड़ चूके थे। कुछ ही पलों में पुष्पा की सांसें रुक गईं और पुष्पा की मौत हो गई फिर बारी आई अंतिम संस्कार की। अगले रोज़ सुबह 10:00 बजे गोविंद नगर के बिरला मंदिर के पास श्मशान घाट है। यहाँ चिता के लिए लकड़ियां इकट्ठा की गई। चिता तैयार हुई। पंडित ने मंत्रोच्चारण शुरू किया, लेकिन शव का अंतिम संस्कार नहीं हुआ। विधि 1 या 2 बार नहीं बल्कि 8 बार पूरी की गई, लेकिन हर बार अग्नि संस्कार को चिता तरस रही थी। एक बार तो चिता को अग्नि सौंपी भी गयी थी लेकिन फिर जलती चिता को बुझा दिया गया। और इसकी वजह थी तीन बीघे जमीन। Aajtak के सहयोगी मदन गोपाल शर्मा ने इस पूरे मामले पर रिपोर्ट की है। उनके मुताबिक पुष्पा के पास तीन बीघे जमीन थी। उनकी बेटियों सुनीता और शशि का आरोप है कि मिथिलेश ने माँ को बहला फुसलाकर 1.5 बीघे जमीन बेच दी थी। उसके कुछ दिनों बाद माँ का निधन हो गया। जब दोनों बहनें शमशान घाट पहुंची तो तीनो में जमीन के बंटवारे को लेकर लड़ाई होने लगी। बात हाथापाई तक पहुँच गई। मौके पर पुलिस पहुंची इस बीच माँ की चिता को आग लगाई गई लेकिन दुख से ज्यादा झगड़ा तेज था। आग बुझा दी गई। दोनों बहनों का कहना था कि बची हुई जमीन लिखित में हमारे नाम की जाए। तभी अंतिम संस्कार होगा। लगभग 9 घंटों तक ये बवाल चलता रहा। उसके बाद बकायदा स्टांप पेपर पर लिखित समझौता हुआ। पुष्पा की बची हुई संपत्ति शशि और सुनीता के नाम की गई, उसके बाद माँ का अंतिम संस्कार हुआ।
Aajtak के सहयोगी मदन गोपाल शर्मा ने मोक्षधाम के मैनेजर मनोज कुमार शर्मा से बात की। मनोज ने बताया कि कैसे घंटों चिता पर शव रखा रहा मगर अंतिम संस्कार नहीं हुआ उन्होंने कहा
“ मोक्षधाम मैं बॉडी सुबह 10:00 बजे आई थी। लेकिन परिवार के लोगों में विवाद चल रहा है। ये विवाद इतना बढ़ चुका है की पहले पक्ष का कहना है की बॉडी का पोस्ट मार्टम किया जाय इन्होंने मेरी मां का खून किया हैं। और जो दूसरा पक्ष बोल रहा है की नहीं हमने मारी नहीं है। ये इनकी बिमारी की वजह से मौत हो चुकी है। इस वजह से सुबह से 8 बार तो यहाँ पर पंडितजी आचुके हैं, जिनको ये लौटा चूके हैं, कभी बुला लेते हैं, कभी लौटा देते है, लकड़ी वगैरह सब तयारी हो चुकी है। चिता में बॉडी रखी हुई है, अग्नि भी जल गई थी दाग लगाने के लिए, लेकिन इन लोगों ने अग्नि बुझवाकर अंतिम संस्कार रुकवा दिया और सुबह से यहाँ दोनों पक्ष में 3-4 बार हाथापाई भी हो चुकी है। इस वजह यहां पुलिस भी बुलवाई गई है। पुलिस ने भी काफी इन लोगों को समझाया, लेकिन पुलिस वालों को भी कोई बात नहीं मान रहा है।
आगर आज इस मां की आंखे खुली होती तो वो ये सब बर्दाश नही कर पाती आपकी इस खबर को लेकर क्या राय है हमे कमेंट मैं जरूर बताएं धन्यवाद।